15-11-03  ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

“मन को एकाग्र कर, एकाग्रता की शक्ति द्वारा फरिश्ता स्थिति का अनुभव करो”

आज सर्व खज़ानों के मालिक अपने चारों ओर के सम्पन्न बच्चों को देख रहे हैं। हर एक बच्चे को सर्व खज़ानों के मालिक बनाया है। ऐसा खज़ाना मिला है जो और कोई दे नहीं सकता। तो हर एक अपने को खज़ानों से सम्पन्न अनुभव करते हो? सबसे श्रेष्ठ खज़ाना है ज्ञान का खज़ाना, शक्तियों का खज़ाना, गुणों का खज़ाना, साथ-साथ बाप और सर्व ब्राह्मण आत्माओं द्वारा दुआओं का खज़ाना। तो चेक करो यह सर्व खज़ाने प्राप्त हैं? सर्व खज़ानों से जो सम्पन्न आत्मा है उसकी निशानी सदा नयनों से, चेहरे से, चलन से खुशी औरों को भी अनुभव होगी। जो भी आत्मा सम्पर्क में भी आयेगी वह अनुभव करेगी कि यह आत्मा अलौकिक खुशी से, अलौकिक न्यारी दिखाई देती है। आपकी खुशी को देख दूसरी आत्मायें भी थोड़े समय के लिए खुशी अनुभव करेंगी। जैसे आप ब्राह्मण आत्माओं की सफेद ड्रेस सभी को कितनी न्यारी और प्यारी लगती है। स्वच्छता, सादगी और पवित्रता अनुभव होती है। दूर से ही जान जाते हैं यह ब्रह्माकुमार कुमारी है। ऐसे ही आप ब्राह्मण आत्माओं के चलन और चेहरे से सदा खुशी की झलक, खुशनसीब की फलक दिखाई दे। आज सर्व आत्मायें महान दु:खी हैं, ऐसी आत्मायें आपका खुशनुम: चेहरा देख, चलन देख एक घड़ी की भी खुशी की अनुभूति करें, जैसे प्यासी आत्मा को अगर एक बूंद पानी की मिल जाती है तो कितना खुश हो जाता है। ऐसे खुशी की अंचली आत्माओं के लिए बहुत आवश्यक है। ऐसे सर्व खज़ानों से सदा सम्पन्न हो। हर ब्राह्मण आत्मा स्वयं को सर्व खज़ानों से सदा भरपूर अनुभव करते हो वा कभी-कभी? खज़ाने अविनाशी हैं, देने वाला दाता भी अविनाशी है तो रहना भी अविनाशी चाहिए क्योंकि आप जैसी अलौकिक खुशी सारे कल्प में सिवाए आप ब्राह्मणों के किसको भी प्राप्त नहीं होती। यह अभी की अलौकिक खुशी आधाकल्प प्रालब्ध के रूप में चलती है, तो सभी खुश हैं! इसमें तो सभी ने हाथ उठाया, अच्छा - सदा खुश हैं? कभी खुशी जाती तो नहीं? कभी-कभी तो जाती है! खुश रहते हो लेकिन सदा एकरस, उसमें अन्तर आ जाता है। खुश रहते हो लेकिन परसेन्टेज में अन्तर आ जाता है।

बापदादा ऑटोमेटिक टी.वी. से सब बच्चों के चेहरे देखते रहते हैं। तो क्या दिखाई देता है? एक दिन आप भी अपने खुशी के चार्ट को चेक करो - अमृतवेले से लेकर रात तक क्या एक जैसी परसेन्टेज खुशी की रहती है? वा बदलती है? चेक करना तो आता है ना, आजकल देखो साइंस ने भी चेकिंग की मशीनरी बहुत तेज कर दी है। तो आप भी चेक करो और अविनाशी बनाओ। सभी बच्चों का बापदादा ने भी वर्तमान पुरूषार्थ चेक किया। पुरूषार्थ सब कर रहे हैं - कोई यथा शक्ति, कोई शक्तिशाली। तो आज बापदादा ने सभी बच्चों के मन की स्थिति को चेक किया क्योंकि मूल है ही मनमनाभव। सेवा में भी देखो तो मन्सा सेवा श्रेष्ठ सेवा है। कहते भी हो मन जीत जगतजीत, तो मन की गति को चेक किया। तो क्या देखा? मन के मालिक बन मन को चलाते हो लेकिन कभी-कभी मन आपको भी चलाता है। मन परवश भी कर देता है। बापदादा ने देखा मन से लगन लगाते हैं लेकिन मन की स्थिति एकाग्र नहीं होती है।

वर्तमान समय मन की एकाग्रता, एकरस स्थिति का अनुभव करायेगी। अभी रिजल्ट में देखा कि मन को एकाग्र करने चाहते हो लेकिन बीच-बीच में भटक जाता है। एकाग्रता की शक्ति अव्यक्त फरिश्ता स्थिति का सहज अनुभव करायेगी। मन भटकता है, चाहे व्यर्थ बातों में, चाहे व्यर्थ संकल्पों में, चाहे व्यर्थ व्यवहार में। जैसे कोई-कोई को शरीर से भी एकाग्र होकर बैठने की आदत नहीं होती है, कोई को होती है। तो मन जहाँ चाहो, जैसे चाहो, जितना समय चाहो उतना और ऐसा एकाग्र होना इसको कहा जाता है मन वश में है। एकाग्रता की शक्ति, मालिकपन की शक्ति सहज निर्विघ्न बना देती है। युद्ध नहीं करनी पड़ती है। एकाग्रता की शक्ति से स्वत: ही एक बाप दूसरा न कोई - यह अनुभूति होती है। स्वत: होगी, मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। एकाग्रता की शक्ति से स्वत: ही एकरस फरिश्ता स्वरूप की अनुभूति होती है। ब्रह्मा बाप से प्यार है ना - तो ब्रह्मा बाप समान बनना अर्थात् फरिश्ता बनना। एकाग्रता की शक्ति से स्वत: ही सर्व प्रति स्नेह, कल्याण, सम्मान की वृत्ति रहती ही है क्योंकि एकाग्रता अर्थात् स्वमान की स्थिति। फरिश्ता स्थिति स्वमान है। जैसे ब्रह्मा बाप को देखा, वर्णन भी करते हो जैसे सम्पन्नता का समय समीप आता रहा तो क्या देखा? चलता-फिरता फरिश्ता रूप, देहभान रहित। देह की फीलिंग आती थी? सामने जाते रहे तो देह देखने आती थी या फरिश्ता रूप अनुभव होता था? कर्म करते भी, बातचीत करते भी, डायरेक्शन देते भी, उमंग-उत्साह बढ़ाते भी देह से न्यारा, सूक्ष्म प्रकाश रूप की अनुभूति की। कहते हो ना कि ब्रह्मा बाबा बात करते-करते ऐसे लगता था जैसे बात कर भी रहा है लेकिन यहाँ नहीं है, देख रहा है लेकिन दृष्टि अलौकिक है, यह स्थूल दृष्टि नहीं है। देह-भान से न्यारा, दूसरे को भी देह का भान नहीं आये, न्यारा रूप दिखाई दे, इसको कहा जाता है देह में रहते फरिश्ता स्वरूप। हर बात में, वृत्ति में, दृष्टि में, कर्म में न्यारापन अनुभव हो। यह बोल रहा है लेकिन न्यारा-न्यारा, प्यारा-प्यारा लगता है। आत्मिक प्यारा। ऐसे फरिश्तेपन की अनुभूति स्वयं भी करे और औरों को भी कराये क्योंकि बिना फरिश्ता बने देवता नहीं बन सकते हैं। फरिश्ता सो देवता है। तो नम्बरवन ब्रह्मा की आत्मा ने प्रत्यक्ष साकार रूप में भी फरिश्ता जीवन का अनुभव कराया और फरिश्ता स्वरूप बन गया। उसी फरिश्ते रूप के साथ आप सभी को भी फरिश्ता बन परमधाम में चलना है। तो इसके लिए मन की एकाग्रता पर अटेन्शन दो। ऑर्डर से मन को चलाओ। करना है तो मन द्वारा कर्म हो, नहीं करना है और मन कहे करो, यह मालिकपन नहीं है। अभी कई बच्चे कहते हैं, चाहते नहीं हैं लेकिन हो गया। सोचते नहीं हैं लेकिन हो गया, करना नहीं चाहिए लेकिन हो जाता है। यह है मन के वशीभूत अवस्था। तो ऐसी अवस्था अच्छी तो नहीं लगती है ना! फालो ब्रह्मा बाप। ब्रह्मा बाप को देखा सामने खड़े होते भी क्या अनुभव होता? फरिश्ता खड़ा है, फरिश्ता दृष्टि दे रहा है। तो मन के एकाग्रता की शक्ति सहज फरिश्ता बना देगी। ब्रह्मा बाप भी बच्चों को यही कहते हैं - समान बनो। शिव बाप कहते हैं निराकारी बनो, ब्रह्मा बाप कहते हैं फरिश्ता बनो। तो क्या समझा? रिजल्ट में क्या देखा? मन की एकाग्रता कम है। बीच-बीच में चक्कर बहुत लगाता है मन, भटकता है। जहाँ जाना नहीं चाहिए वहाँ जाता है तो उसको क्या कहेंगे? भटकना कहेंगे ना! तो एका-ग्रता की शक्ति को बढ़ाओ। मालिकपन के स्टेज की सीट पर सेट रहो। जब सेट होते हैं तो अपसेट नहीं होते, सेट नहीं हैं तो अप-सेट होते हैं। तो भिन्न-भिन्न श्रेष्ठ स्थितियों की सीट पर सेट रहो, इसको कहते हैं एकाग्रता की शक्ति। ठीक है? ब्रह्मा बाप से प्यार है ना! कितना प्यार है? कितना है? बहुत प्यार है! तो प्यार का रेसपान्ड बाप को क्या दिया है? बाप का भी प्यार है तब तो आपका भी प्यार है ना! तो रिटर्न क्या दिया? समान बनना - यही रिटर्न है। अच्छा।

यह सीजन का फर्स्ट टर्न है। तो फर्स्ट में फर्स्ट नम्बर आ गये हैं। बापदादा को भी जितने ज्यादा बच्चे दिखाई देते तो अच्छा लगता है। जितना हाल बनाया है उतने ही आते हैं। अभी बड़ा हाल बनाओ तो बहुत आवें। अभी देखो तो फुल हो गया है ना! फुल होना इशारा करता है कि और बड़ा बनाओ। हाल सज जाता है ना! और ऐसी श्रेष्ठ आत्माओं से हाल सजा हुआ है तो कितना अच्छा लगता है। मधुबन वालों को भी, चाहे शान्तिवन हो, चाहे पाण्डव भवन हो, अगर खाली-खाली होता है तो अच्छा नहीं लगता है ना। भरा हुआ होता है तो अच्छा लगता है कि मधुबन वालों को एकान्त चाहिए? एकान्त चाहिए वा संगठन, रिमझिम अच्छी लगती है? फिर भी बीच में एकान्त भी मिल जाती है। अच्छा।

डबल विदेशी भी आये हैं। अच्छा है, डबल विदेशियों से भी मधुबन का श्रृंगार हो जाता है। इन्टरनेशनल हो जाता है ना! अच्छा है, बापदादा ने दादी का संकल्प सुना। (आज सवेरे क्लास में दादी जी ने सभी को देश-विदेश में सेवा की धूम मचाने का संकल्प दिया था, भारत का कोई भी गांव, कोई भी देश इस वर्ष सन्देश से वंचित न रहे, ऐसा प्लैन बनाओ) संकल्प दिया है ना - अच्छा है। देखेंगे विदेश पूरा करता है या भारत पूरा करता है! सन्देश तो मिलना चाहिए। इतनी आपको प्राप्ति हुई, बाप मिला, खज़ाना मिला, पालना मिली, कम से कम अपने भाई-बहिनों को सन्देश तो पहुंचाना चाहिए। उल्हना तो नहीं देंगे ना कि हमको पता ही नहीं। तो सन्देश जरूर देना, आवश्यक है। और मुश्किल क्या है? हर एक जोन अपने-अपने जोन के साइड को बांटो, और क्या है! हर जोन में कितने सेन्टर हैं, एक-एक सेन्टर को भी बांटों तो क्या बड़ी बात है। देखो, मधुबन में वर्गाकरण की सेवा होती है, उससे आवाज चारों ओर फैलता है। आप देखेंगे जब से यह वर्गाकरण की सेवा शुरू की है तो आई.पी. क्वालिटी में आवाज ज्यादा फैला है। वी.वी.आई.पी. की तो बात छोड़ो, उन्हों को फुर्सत कहाँ है। और बड़े-बड़े प्रोग्राम किये हैं उससे भी आवाज तो फैलता है। अभी देहली और कलकत्ता कर रहे हैं ना! अच्छे प्लैन बना रहे हैं। मेहनत भी अच्छी कर रहे हैं। बापदादा के पास समाचार पहुंचता रहता है। देहली का आवाज फॉरेन तक पहुंचना चाहिए। मीडिया वाले क्या करते हैं? सिर्फ भारत तक। फॉरेन से आवाज आये कि देहली में यह प्रोग्राम हुआ, कलकत्ता में यह प्रोग्राम हुआ। यह वहाँ का आवाज इन्डिया में आवे। इन्डिया के कुम्भकरण तो विदेश से जागने हैं ना! तो विदेश की खबर का महत्व होता है। प्रोग्राम भारत में हो और समाचार विदेश की अखबारों से पहुंचे तब फैलेगा। भारत का आवाज विदेश में पहुंचे और विदेश का आवाज भारत में पहुंचे, उसका प्रभाव होता है। अच्छा है। प्रोग्राम जो बना रहे हैं, अच्छे बना रहे हैं। बापदादा देहली वालों को भी मुहब्बत के मेहनत की मुबारक देते हैं। कलकत्ता वालों को भी इनएड-वांस मुबारक है क्योंकि सहयोग, स्नेह और हिम्मत जब तीनों बातें मिल जाती हैं तो आवाज बुलन्द होता है। आवाज फैलेगा, क्यों नहीं फैलेगा। अभी मीडिया वाले यह कमाल करना, सभी ने टी.वी. में देखा, यह टी.वी. में आया, सिर्फ यह नहीं। वह तो भारत में आ रहा है। अभी और विदेश तक पहुंचो। अभी देखेंगे यह साल आवाज फैलाने का कितना हिम्मत और जोर-शोर से मनाते हो। बापदादा को समाचार मिला कि डबल फारेनर्स को बहुत उमंग है। है ना? अच्छा है। एक दो को देख और उमंग आता है, जो ओटे वह ब्रह्मा समान। अच्छा है। तो दादी को भी संकल्प आता है, बिजी करने का तरीका अच्छा आता है। अच्छा है, निमित्त है ना।

अच्छा - सभी उड़ती कला वाले हो? उड़ती कला फास्ट कला है। चलती कला, चढ़ती कला यह फास्ट कला नहीं है। उड़ती कला फास्ट भी है और फर्स्ट लाने वाली भी है। अच्छा -

मातायें क्या करेंगी? मातायें अपने हमजिन्स को जगाओ। कम से कम मातायें कोई उल्हना देने वाली नहीं रह जायें। माताओं की संख्या सदा ज्यादा होती है। बापदादा को खुशी होती है और इस ग्रुप में सभी की संख्या अच्छी आई है। कुमारों की संख्या भी अच्छी आई है। देखो, कुमार अपने हमजिन्स को जगाओ। अच्छा है। कुमार यह कमाल दिखावें कि स्वप्न मात्र पवित्रता में परिपक्व हैं। बापदादा विश्व में चैलेन्ज करके बताये कि ब्रह्माकुमार यूथ कुमार, डबल कुमार हैं ना। ब्रह्माकुमार भी हो और शरीर में भी कुमार हो। तो पवित्रता की परिभाषा प्रैक्टिकल में हो। तो आर्डर करें, आपको चेक करें पवित्रता के लिए। करें आर्डर? इसमें हाथ नहीं उठा रहे हैं। मशीनें होती हैं चेक करने की। स्वप्न तक भी अपवित्रता हिम्मत नहीं रखे। कुमारियों को भी ऐसे बनना है, कुमारी अर्थात् पूज्य पवित्र कुमारी। कुमार और कुमारियां यह बापदादा को प्रॉमिस करें कि हम सभी इतने पवित्र हैं जो स्वप्न में भी संकल्प नहीं आ सकता, तब कुमार और कुमारियों की पवित्रता सेरीमनी मनायेंगे। अभी थोड़ा-थोड़ा है, बापदादा को पता है। अपवित्रता की अविद्या हो क्योंकि नया जन्म लिया ना। अपवित्रता आपके पास्ट जन्म की बात है। मरजीवा जन्म, जन्म ही ब्रह्मा मुख से पवित्र जन्म है। तो पवित्र जन्म की मर्यादा बहुत आवश्यक है। कुमार कुमारियों को यह झण्डा लहराना चाहिए। पवित्र हैं, पवित्र संस्कार विश्व में फैलायेंगे, यह नारा लगे। सुना कुमारियों ने। देखो कुमारियां कितनी हैं। अभी देखेंगे कुमारियां यह आवाज फैलाती हैं या कुमार? ब्रह्मा बाप को फॉलो करो। अपवित्रता का नाम निशान नहीं, ब्राह्मण जीवन माना यह है। माताओं में भी मोह है तो अपवित्रता है। मातायें भी ब्राह्मण हैं ना। तो ना माताओं में, ना कुमारियों में, ना कुमारों में, न अधर कुमार कुमारियों में। ब्राह्मण माना ही है पवित्र आत्मा। अपवित्रता का अगर कोई कार्य होता भी है तो यह बड़ा पाप है। इस पाप की सजा बहुत कड़ी है। ऐसे नहीं समझना यह तो चलता ही है। थोड़ा बहुत तो चलेगा ही, नहीं। यह फर्स्ट सबजेक्ट है। नवीनता ही पवित्रता की है। ब्रह्मा बाप ने अगर गालियां खाई तो पवित्रता के कारण। हो गया, ऐसे छूटेंगे नहीं। अलबेले नहीं बनो इसमें। कोई भी ब्राह्मण चाहे सरेण्डर है, चाहे सेवाधारी है, चाहे प्रवृत्ति वाला है, इस बात में धर्मराज भी नहीं छोड़ेगा, ब्रह्मा बाप भी धर्मराज को साथ देगा। इसलिए कुमार कुमारियां कहाँ भी हो, मधुबन में हो, सेन्टर पर हो लेकिन इसकी चोट, संकल्प मात्र की चोट बहुत बड़ी चोट है। गीत गाते हो ना - पवित्र मन रखो, पवित्र तन रखो.. गीत है ना आपका। तो मन पवित्र है तो जीवन पवित्र है इसमें हल्के नहीं होना, थोड़ा कर लिया क्या है! थोड़ा नहीं है, बहुत है। बापदादा आफीशियल इशारा दे रहा है, इसमें नहीं बच सकेंगे। इसका हिसाब-किताब अच्छी तरह से लेंगे, कोई भी हो। इसलिए सावधान, अटेन्शन। सुना - सभी ने ध्यान से। दोनों कान खोल के सुनना। वृत्ति में भी टचिंग नहीं हो। दृष्टि में भी टचिंग नहीं। संकल्प में नहीं तो वृत्ति दृष्टि क्या है! क्योंकि समय सम्पन्नता का समीप आ रहा है, बिल्कुल प्युअर बनने का। उसमें यह चीज़ तो पूरा ही सफेद कागज पर काला दाग है।

अच्छा - सभी जहाँ-जहाँ से भी आये हैं, सब तरफ से आये हुए बच्चों को मुबारक हो।

सेवा का टर्न कर्नाटक का है:- अच्छा चांस है। कर्नाटक के सेवाधारी उठो। बहुत सेवाधारी आ गये हैं। आधी सभा तो कर्नाटक है। बहुत अच्छा। (2500 कर्नाटक के हैं) अच्छा है, वृद्धि अच्छी है। तो विधि और वृद्धि दोनों का बैलेन्स रखने वाले। अभी कर्ना-टक ने नाटक में हीरो पार्ट नहीं बजाया है। कर्नाटक नाम ही है, नाटक करने वाले, नाटक में भी हीरो पार्ट करने वाले। तो हीरो पार्ट नहीं बजाया है। संख्या अच्छी है, उसकी मुबारक है। अभी कोई हीरो पार्ट बजाओ जो किसी जोन ने नहीं किया हो। लाख को इकट्ठा करना यह तो कॉमन हो गया। कोई नवीनता करके दिखाओ जो सभी हियर-हियर करें। कर सकते हैं लेकिन अभी गुप्त हैं, प्रत्यक्ष नहीं हुए हैं। तो टीचर्स करना है ना! कोई हीरो पार्ट करके दिखाओ। सेन्टर खोला, गीता पाठशाला खोली - यह तो कॉमन हो गया। नई बात करके दिखाओ। पाण्डव करेंगे ना नई बात। नई बात करेंगे ना! हाँ, अच्छे अच्छे पुराने-पुराने सर्विसएबुल हैं। करो कमाल। जो सारे जोन तालियां बजावें। बापदादा की कर्नाटक में उम्मीदें बहुत हैं। लेकिन अभी उम्मीदों के ही तारे हैं, अभी उम्मीदों के तारे से सफलता के तारे प्रत्यक्ष हो जाओ। होना है, ठीक है? टीचर्स भी बहुत हैं। सिर्फ टीचर्स हाथ उठाओ। देखो, कितनी टीचर्स हैं। पाण्डव भी हैं। जोन के हेड भी हैं ना, वह भी हाथ उठाओ। देखो कितने हैण्डस हैं। बहुत अच्छे-अच्छे हैण्डस हैं सिर्फ अभी पर्दे के अन्दर हैं, स्टेज पर नहीं आये हैं। अच्छा - मुबारक हो।

इन्दौर कन्या छात्रावास की कुमारियों से :- कुमारियां अभी कमाल करेंगी या सिर्फ डांस करेंगी? अभी जितनी छोटी उतनी कमाल करके दिखाओ। छोटी कुमारी चैलेन्ज करे। अनुभव के आधार से चैलेन्ज करे तो सब लोग प्रभावित हो जाते हैं। अच्छा है अपनी जीवन को सेफ तो कर लिया है। दुनिया के संग से बच गई हो। अभी आपस में ऐसे प्लैन बनाओ। कोई सेवा का नया प्लैन सोचो, छोटे होते भी कमाल का प्लैन बनाके दिखाओ। कर सकते हैं। देखो, जब स्थापना हुई तो छोटी-छोटी कुमारियों ने ही तो कमाल की ना। आप भी कोई कमाल का प्लैन बनाओ। अच्छा है। संग अच्छा है, वातावरण अच्छा है, सेफ्टी भी है, समय भी है, अभी प्लैन बनाना। ठीक है ना। बनायेंगी प्लैन? ऐसा प्लैन बनाओ जो बड़े तो बड़े रहें छोटे सुभानअल्ला हो जाएं। अच्छा।

अच्छा - मन को आर्डर से चलाओ। सेकण्ड में जहाँ चाहो वहाँ मन लग जाये, टिक जाये। यह एक्सरसाइज करो। (ड्रिल) अच्छा - कई जगह बच्चे सुन रहे हैं। याद भी कर रहे हैं, सुन भी रहे हैं। यह सुनकर खुश भी हो रहे हैं कि साइंस के साधन वास्तव में सुख-दाई आप बच्चों के लिए हैं।

चारों ओर के सर्व खज़ानों से सदा सम्पन्न बच्चों को, सदा खुशनसीब, खुशनुम: चेहरे और चलन से खुशी की अंचली देने वाले विश्व कल्याणकारी बच्चों को, सदा मन के मालिक बन एकाग्रता की शक्ति द्वारा मन को कन्ट्रोल करने वाले मनजीत, जगतजीत बच्चों को, सदा ब्राह्मण जीवन की विशेषता पवित्रता के पर्सनैलिटी में रहने वाले पवित्र ब्राह्मण आत्माओं को, सदा डबल लाइट बन फरिश्ता जीवन में ब्रह्मा बाप को फालो करने वाले, ऐसे ब्रह्मा बाप समान बच्चों को बापदादा का यादप्यार और नमस्ते। चारों ओर सुनने वाले, याद करने वाले सर्व बच्चों को भी बहुत-बहुत दिल की दुआओं सहित यादप्यार, सर्व को नमस्ते।

दादियों से:- ड्रामा में हर एक को अच्छा पार्ट मिला हुआ है। अच्छा लगता है ना अपना पार्ट। बापदादा भी खुश होते हैं। आपके (दादी जी के) अच्छे सहयोगी हैं ना, राइट हैण्ड हैं ना। है ना राइट हैण्ड? देखो यह सारा ग्रुप, यह सब आप के राइट हैण्ड हैं। कितने अच्छे राइट हैण्ड हैं। देखो, आपके भी (दादी जानकी जी के) राइट हैण्ड हैं। विदेश की सेवा के भी राइट हैण्ड हैं। (तीन चार को स्टेज पर बुलाओ) आप लोगों के ऊपर, राइट हैण्डस के ऊपर जिम्मेवारी है। निमित्त यह हैं लेकिन जिम्मेवार आप हो (विदेश की बहनों से) क्योंकि हैण्ड ही तो काम करते हैं ना। आप देखो शरीर में सबसे ज्यादा काम कौन करता है? हैण्ड। तो आप सब राइट हैण्डस हो और हैण्डस जितना चाहें उतना कर सकते हैं। इनका काम है (दादियों का) मस्तक का काम, आपका है हैण्डस का काम। यह प्रेरणा देंगी, राय देंगी, डायरेक्शन देंगी लेकिन करने वाले आप हैं। अभी यह थोड़ेही जाके कोर्स करायेंगी। अभी इनका भी (बड़ी बहनों का) पार्ट पूरा हुआ कोर्स कराने का। मधुबन के राइट हैण्डस भी अच्छे हैं तो फारेन के भी अच्छे हैं। कमाल करने वाले हैं। बापदादा खुश होते हैं देखो, एक-एक कितना अच्छा रत्न है।

(सभा से) आप सभी भी राइट हैण्डस हो ना? राइट हैण्ड। राइट हैण्ड अर्थात् सदा राइट कर्म करने वाले। कभी भी वेस्ट कर्म करने वाले नहीं, राइट कर्म करने वाले। बापदादा को अच्छा लगता है, आप सभी श्रृंगार हो। निमित्त जितने हैं, और भी हैं। लेकिन बाप-दादा जब देखते हैं ना सभी एक दो के सहयोगी बन बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं, खुश होते हैं। आप निमित्त बनने वालों की युनिटी और प्युरिटी दोनों सारे परिवार को हिम्मत देती है। पाण्डव भी हैं। पाण्डवों को स्टेज पर बुलाया नहीं है, लेकिन हैं पाण्डव भी साथ। कितना अच्छा चांस सभी ने लिया । पहुंच गये तो चांस ले लिया। देखो, बापदादा जब देखते हैं ना एक-एक को, तो सोचते हैं इनको बुलाके बात करें लेकिन साकार शरीर माना बंधन। साकार शरीर के बंधन में आ गये ना, साकार शरीर के बंधन में इतना कर नहीं सकते लेकिन वतन में कर सकते हैं इसीलिए तो बंधनमुक्त हो गये ना। वहाँ जगह का सवाल नहीं, समय का सवाल नहीं लेकिन आपको पता है, एक गुप्त बात बताते हैं, बापदादा वतन में ग्रुप-ग्रुप को बुलाते हैं और उनसे रूहरिहान भी करते हैं। जैसे साकार में याद है - ब्रह्मा बाप ने एक एक ग्रुप को अपने पास भोजन पर बुलाया था, याद है? (क्लिफ्टन पर) ऐसे बापदादा वतन में बुलाते जरूर हैं लेकिन साकार में नहीं कर सकते। अच्छा। मधुबन के कितने अच्छे-अच्छे, सेवाधारी बैठे हैं, देखो कितने अच्छे-अच्छे डिपार्टमेंट के बैठे हैं। डबल फारेनर्स देखो कितने अच्छे-अच्छे हैं। मातायें देखो सभी अच्छे ते अच्छी हैं, लेकिन सभी को कैसे बुलायें। स्टेज पर सभी आ सकते हो? नहीं आ सकते। अच्छा है मधुबन की आकर्षण सभी को छत्रछाया का काम कराती है। जब पहुंच जाते हैं तो कितना अच्छा अनुभव करते हैं।

ओम् शान्ति।